साहुकार की कथा (२) | Sahukar ki Katha in Hindi
एक साहुकार के सात बेटे, सात बहुएँ एंव एक कन्या थी। उसकी बहुँए कार्तिक कृष्ण अष्टमी को अहोई माता के पूजन के लिए जंगल मे अपनी ननद के साथ मिट्टी लेने के लिए गयीं। मिट्टी निकालने के स्थान पर ही एक स्थाहू की माँद थी। मिट्टी खोदते समय ननद के हाथ से स्थाहू का बच्चा चोट खाकर मर गया। स्थाहू की माता बोली, अब मै तेरी कोख बाँधूगी अर्थात अब तुझे मै सन््तान-विहीन कर दूँगी । उसकी बात सुनकर ननंद ने अपनी सभी भाभियों से अपने बदले से कौख बँधा लेने के लिए आग्रह किया, परन्तु उसकी सभी भाभियों ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया । परन्तु उसकी छोटी भाभी ने कुछ सोच-समझकर अपनी कोख बँधवाने की स्वीकृति ननद को दे दी ।
तदान्तर उस भाभी को, जो भी सनन््तान होती वे सात दिन के बाद ही मर जाती। एक दिन पण्डित को बुलाकर इस बात का पता लगाया गया । पण्डित ने कहा तुम काली गाय की पूजा किया करे । काली गाय रिश्ते मे स्थाहू की भायली लगती है। वह यदि तेरी कोख छोड़ दे तो बच्चे जिवित रह सकते है। पण्डित की बात सुनकर छोटी बहु ने दुसरे दिन से ही काली गाय की सेवा करना प्रारम्भ कर दिया। वह प्रतिदिन सुबह सर्वेरे उठकर गाय का गोबर आदि साफ कर देती । गाय ने अपने मन में सोचा कि, यह कार्य कौन कर रहा है, इसका पता लगाऊँगी। दूसरे ‘ दन गाय माता तड़के उठकर क्या देखती है कि उस स्थान पर साहकार की एक बह॒ झाड़ू बुहारी करेंके सफाई कर रही है। गऊ माता ने उस बहु से पूछा कि तू किस लिए मेरी इतनी सेवा कर रही है और वह उससे क्या चाहती है? जो कुछ तेरी इच्छा हो वह मुझ से माँग ले । साहुकार की बहु ने कहा – स्थाहू माता ने मेरी कोख बाँध दी है. जिससे मेरे बच्चे नही बचते है । यदि आप मेरी कोख खुलवा दे तो मै अपका बहुत उपकार मानूँगी । गाय माता ने उसकी बात मान ली और उससे साथ लेकर सात समुद्र पार स्थाहू माता के पास ले चली । रास्ते मे कड़ी धूप से ब्याकुल होकर दोनो एक पेड़ की छाया में बैठ गयी ।
जिस पेड़ के नीचे वह दोनो बैठी थी उस पेड़ पर गरूड़ पक्षी का एक बच्चा रहता था। थोड़ी देर में ही एक साँप आकर उस बच्चे को मारने लगा | इस दृश्य को देखकर साहूकार की बहु ने उस साँप को मारकर एक डाल के नीचे छिपा दियाओर उस गरूड़ के बच्चे को मरने से बचा लिया। इस के पश्चात् उस पक्षी की माँ ने वहाँ रक्त पड़ा देखकर साहूकार की बहू को चोंच से मारने लगीं ।
तब साहुकार की बहू ने कहा – मैने तेरे बच्चे को नहीं मारा है। तेरे बच्चे को डसने के लिए एक साँप आया था मैने उसे मारकर तेरे बच्चे की रक्षा की है। मरा हुआ साँप डाल के नीचे दभा हुआ है । बहू की बातों से वह प्रसन्न हो गई और बोली – तू जो कुछ चहाती है मुझसे माँग ले | बहू ने उस से कहा – सात समुद पार स्याहू माता रहती है तू मुझे सउ टक पहुँचा दे । तब उस गरूड़ पंखिनी ने उन दोनों को अपनी पीठ पर बिठाकर समुद्र के उस पार स्याहू माता के पास पहुँचा दिया। स्याहू माता उन्हे देखकर बोली – आ बहिन, बहुत दिनों बाद आयी है । वह पुनः बोली मेरे सिर में जूँ पड़ गयी हैं। तू उसे निकाल दे। उस काली गाय के कहने पर साहूकार की बहू ने सिलाई से स्याहू माता की सारी जूँओो को निकाल दिया। इस पर स्थाहू माता अत्यन्त खुश हो गयीं ।
स्थाहू माता ने उस साहूकार की बहू से कहा – तेरे सात बेटे और सात बहूएँ हो । सुनकर साहूकार की बहू ने कहा – मुझे तो एक भी बेटा नही है सात कहाँ से होगें । स्थाहू माता ने पूछा – इसका कारण क्या है ? उसने कहा यदि आप वचन दें तो इसका कारण बता सकती हूँ । स्याहू माता ने उसे वचन दे दिया ।
वचन-बद्वू करा लेने के बाद साहूकार की बहू ने कहा – मेरी कोख तुम्हारे पास बन्द पड़ी है, उसे खोल दें । स्थाहू माता ने कहा – मै तेरी बाताँ से आकर धोखा खा गयी । अब मुझे तेरी कोख खोलनी पड़ेगी । इतना कहने के साथ ही स्याहू माता ने कहा – अब तू घर जा । तेरे सात बेटे और सात बहुएँ होगी | घर जाने पर तू अहोई माता का उद्यापन करना ! सात सात अह्ोई बनाकर सात कड़ाही देना । उसने घर लीट कर देखा तो उसके सात बेटे और सात बहुएँ बैठी हुई मिलीं । वह खुशी के मारे भाव-विभोर हो गयी । उसने सात अहोई बनाकर सात कड़ाही देकर उद्यापन किया। इसके बाद ही दिपावली आया। उसकी जेठानियाँ परस्पर कहने लगीं -सब लोग पूजा का कार्य शीघ्ष पूरा कर लो । कहीं ऐसा न हो कि, छोटी बहू अपने बच्चों का स्मरण कर रोना- धोना न शुरू कर दे । नहीं तो रंग मे भंग हो जायेगा । जानकारी करने के लिए उन्होने अपने बच्चो को छोटो बहू के घर ‘भेजा | क़्योंकि छोटी बहू रूदन नहीं कर रहीं थी । बच्चों ने घर जाकर बताया की वह वहाँ आटा गूँथ रही है और उद्यापन का कार्यक्रम चल रहा हैं ।
इतना सुनते ही सभी जेठानियाँ आकरउससे पूछने लगी कि, तूने अपनी कोख कैसे खुलवायी । उसने कहा -स्थाहू माता ने कृपाकर उसकी कोख खोल दी । सब लोग अहोरई माता की जय-जयकार करने लगे । जिस तरह अहोरई्ड माता ने उस साह्ूकार की बहू की कौख को खोल दिया उसी प्रकार इस ब्रत कौ करने वाली सभी नारियो की अभिलाषा पूर्ण करें । समाप्त