डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन की प्रमुख घटनाएँ

डॉ. भीमराव अंबेडकर (1891-1956) भारतीय संविधान के निर्माता, समाज सुधारक और एक महान विचारक थे। उन्होंने भारत में सामाजिक समानता और न्याय के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जीवन संघर्ष, शिक्षा, और समाज सेवा से प्रेरित था। इस लेख में हम उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं का वर्णन करेंगे।

प्रारंभिक जीवन (1891-1912):

  1. जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि – डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू (अब डॉ. अंबेडकर नगर) में हुआ था। वे महार जाति से थे, जिसे उस समय अछूत माना जाता था। उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल ब्रिटिश भारतीय सेना में सूबेदार थे और माता भीमाबाई धार्मिक प्रवृत्ति की थीं।

    डॉ. अंबेडकर के परिवार में शिक्षा को महत्व दिया जाता था, लेकिन समाज में व्याप्त छुआछूत और जातिगत भेदभाव के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनका मूल उपनाम ‘सकपाल’ था।

    बाल्यकाल में ही उनकी माता का निधन हो गया, जिससे उनका जीवन और भी संघर्षपूर्ण हो गया। हालांकि, उनके पिता ने उन्हें शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया, जिससे वे आगे चलकर एक महान समाज सुधारक और संविधान निर्माता बने।

  2. प्रारंभिक शिक्षा में संघर्ष – भीमराव अंबेडकर को स्कूल में बचपन से ही छुआछूत का सामना करना पड़ा। उन्हें अन्य सवर्ण बच्चों के साथ बैठने की अनुमति नहीं थी। स्कूल में उन्हें अलग बैठाया जाता था और प्यास लगने पर कोई भी उन्हें पानी नहीं देता था। यदि कोई ऊँची जाति का व्यक्ति पानी पिलाता भी था, तो ऊँचाई से गिराकर दिया जाता था ताकि उनका स्पर्श न हो। कक्षा में शिक्षक भी उनसे भेदभाव करते थे और उन्हें पढ़ाई में उचित सहायता नहीं मिलती थी।

  3. स्कॉलरशिप प्राप्ति – बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी।

उच्च शिक्षा और विदेश यात्रा (1913-1923):

  1. कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रवेश – 1913 में वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए और कोलंबिया विश्वविद्यालय से एम.ए. और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
  2. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ग्रेज़ इन – बाद में वे इंग्लैंड गए और अर्थशास्त्र में डी.एससी. और कानून की डिग्री प्राप्त की।
  3. भारत वापसी और संघर्ष – 1923 में भारत लौटने के बाद उन्होंने सामाजिक और कानूनी सुधारों की दिशा में काम करना शुरू किया।

सामाजिक आंदोलन और राजनीतिक संघर्ष (1924-1947):

  1. बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना (1924) – दलितों के अधिकारों के लिए यह संगठन बनाया।
  2. महाड़ सत्याग्रह (1927) – अछूतों को सार्वजनिक जल स्रोतों तक पहुंच दिलाने के लिए आंदोलन।
  3. मनुस्मृति दहन (1927) – जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ उन्होंने मनुस्मृति को जलाया।
  4. पूना समझौता (1932) – अलग निर्वाचक मंडल की मांग के बाद महात्मा गांधी से हुए समझौते के तहत दलितों को आरक्षण मिला।
  5. संविधान सभा के सदस्य (1946) – वे संविधान सभा में शामिल हुए और भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारतीय संविधान निर्माण और मंत्रित्व काल (1947-1951):

  1. भारत के पहले कानून मंत्री (1947) – स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में वे कानून मंत्री बने।
  2. संविधान निर्माण (1947-1950) – उन्होंने संविधान सभा की मसौदा समिति का नेतृत्व किया और भारतीय संविधान तैयार किया, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
  3. हिंदू कोड बिल का प्रस्ताव (1951) – महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने के लिए उन्होंने हिंदू कोड बिल पेश किया, जो पारित नहीं हो सका।

बौद्ध धर्म ग्रहण और अंतिम दिन (1951-1956):

  1. मंत्रिमंडल से इस्तीफा (1951) – उन्होंने जातिगत भेदभाव और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर सरकार से मतभेद के कारण इस्तीफा दिया।
  2. बौद्ध धर्म की ओर रुझान – उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए बौद्ध धर्म को अपनाने का निर्णय लिया।
  3. बुद्ध धर्म ग्रहण (1956) – 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में उन्होंने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किया।
  4. निधन (6 दिसंबर 1956) – उनका निधन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुआ।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन संघर्ष, विद्वता, और समाज सुधार के लिए समर्पित था। उन्होंने भारतीय समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए अथक प्रयास किए। उनका योगदान भारतीय इतिहास में सदैव स्मरणीय रहेगा।